भारत में यूरोपियों का आगमन |Arrival of Europeans in India

भारत में यूरोपियों का आगमन ( Arrival of Europeans in India )

यूरोपीय शक्ति और व्यापारियों में सर्वप्रथम भारत में आने वाली पुर्तगाली थे|अल्मिड 1505 ई० से 1509 ई ०  तक भारत में पुर्तगाली बस्तियों का प्रथम गवर्नर बन कर आया इसके बाद 15 से 9 ईसवी में अल्बुकर्क पुर्तगाली गवर्नर बंद कराया और उसने पुर्तगाली साम्राज्य का विस्तार किया| वह 1515 ईस तक भारत में रहा तथा गोवा, दमन ,दीप ,सूरत और बेसिन पर  नियंत्रण पुर्तगालियों स्थापित| पुर्तगालियों का लक्ष्य बीए पार करके धन कमाने के साथ-साथ सत्ता स्थापित करना भी था|1580 ईसवी में पुर्तगाल का स्पेन में विलय हो गया|1588 ईस्वी में अंग्रेज नौसेना ने स्पेन केेेे जहाजी बेड़े आर मेडा को पराजित किया |अंग्रेज की इस विजय ने महारानी एलिजाबेथ का साहस बड़ा दिया|कुछ व्यापारियों को महासागरीय मार्ग द्वारा भारत मे जााकर व्यापार करने की आज्ञा प्रदान कर दी इससेे एशिया पर पर पुर्तगालियों के व्यापार का अधिकार समाप्त हो गया धीरे धीरे इंग्लैंड और हॉलैंड के व्यापारी व्यापार पर अपना अधिकार जमाने मे सफल हो गए

अब पुर्तगालियों के पास गोवा दमन और दीव की व्यापारिक कोठिया ही शेष रह गई जैसी जैसी उनकी आर्थिक शक्ति क्षीण होती गई उनकी असफलता का द्वार  चला गया | भारत में यूरोपियों का आगमन | Arrival of Europeans in India |

पुर्तगालियों के असफलता के कारण(Due to  Portuguese failure)

  1. पुर्तगालियों ईसाई धर्म का प्रचार करते थे वे भारत में ईसाई धर्म के प्रचार के लिए शक्ति का प्रयोग भी करते थे अतः भारत के हिंदू और मुसलमान उनके विरोध में हो गए थे
  2. पुर्तगालियों का शासन दोषपूर्ण था उनके कर्मचारी अनैतिक साधनों से धन कमाने में लगे रहते थे
  3. उनकी व्यापार प्रणाली भी दोषपूर्ण थी उनकी व्यापार व्यवस्था में भ्रष्टाचार बेईमानी तथा लूट का सूट का बोलबाला था
  4. विजयनगर साम्राज्य की नष्ट होने पर उनके व्यापार को बड़ा धक्का लगा क्योंकि विजयनगर साम्राज्य ही उनका मुख्य व्यापारिक केंद्र था
  5. पुर्तगाल की सैनिक शक्ति कमजोर थी संघर्ष होने पर बच्चों ने उन्हें पराजित करके उनके उपनिवेश ऊपर अपना अधिकार कर लिया था 

हेडलाइंस:- पुर्तगालियों का आगमन

1 - बार्थोलोम्यू डियाज 1487 ईस्वी में आशा अंतरीप पहुंचा तथा उस जगह को तूफानी अंतरीप नाम दिया

2 - 17 मई 1948 को पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा समुद्री मार्ग ' केप ऑ फ गुड होप' के रास्ते भारत में कालीकट बंदरगाह पर पहुंचा

3 - वास्कोडिगामा द्वारा भारत से ले जाया गया मसाला उसकी पूरी यात्रा खर्च से 60 गुना अधिक दाम पर बिका

4 - यूरोपीय व्यापारी अफ्रीका से सोना , हाथी दांत , एवं गुलाम जैसी चीजें ले जाते थे

5 - 1503 ईसवी में पुर्तगालियों ने अपना पहला दुर्ग कोचिंग में स्थापित किया

6 - पुर्तगालियों ने अपना दूसरा दुर्ग 1505 ईसवी में कन्नूर में बनाया

7 - 1509 ईस्वी में गुजरात था मिस्र के संयुक्त बेड़े को फ्रांसिस्को डी अलमेड ने पराजित किया

8 - फ्रांसिस्को डी अल्मेडा प्रथम पुर्तगाली वायसराय था

9 -अल्फांसो डी अल्बूकर्क 1503 में स्क्वैड्रन कमांडर के रूप में आया था 1509 में ऐसे भारत का वायसराय नियुक्त कर दिया गया 

10 - इसे ही पुर्तगीज शक्ति का वास्तविक स्थापन माना जाता है

11 - अल्बूकर्क 1503 ईस्वी में भारत आया

12 - अल्बूकर्क 15 से 9 ईसवी में पुर्तगाली गवर्नर नियुक्त हुआ

13 - अल्फांसो डी अल्बुकर्क (1509-15) को भारत को पुर्तगीज शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है

14 - अल्बुकर्क ने गोवा अधिग्रहण में तिमैया नामक हिंदू से सहायता ली थी

15 - 1510 ईसवी में अल्बुकर्क ने गोवा को बीजापुर के सुल्तान युसूफ आदिलशाह से जीत लिया

16 - गोवा भारत में पुर्तगाली राज्य की राजधानी 1530 में बना

17 - पुर्तगालियों ने दिए एवं दमन पर क्रमशः 1535 ईस्वी तथा 1559 ईस्वी में अधिकार किया

18 - गोवा घोड़ों के आयात के लिए प्रसिद्ध था

19 - पुर्तगाली खुद को सागर का स्वामी कहते थे

20 - दक्षिण पूर्व एशिया से पुर्तगालियों को डचो ने बाहर किया

21 - 1503 में अलमीरा नियर टर्की गुजरात मिश् की संयुक्त सेना को पराजित कर हुगली को बंगाल की खाड़ी में 22 समुद्री लूटपाट के लिए अड्डे के रूप में इस्तेमाल किया

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