What is finance commission in hindi
वित्त आयोग क्या है ( What is finance commission )
केंद्र से राज्य को वित्तीय हस्तांतरण के लिए दिशानिर्देश सुलझाने हेतु वित्त आयोग Finance Commission का गठन किया जाता है|
संविधान के अनुच्छेद 280 में यह व्यवस्था है कि राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष के पश्चात यहां आवश्यकता पड़ने पर उसे पूर्व एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा जिसमें अध्यक्ष के अतिरिक्त चार अन्य सदस्य होंगे|
अनुच्छेद 280 के अनुसार आयोग का कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को निम्नलिखित के संबंध में अपनी प्रस्तुति दे :-
केंद्र तथा राज्यों के बीच विभाजन इ करो से प्राप्त शुद्ध राजस्व का वितरण तथा इसमें विभिन्न राज्यों का हिस्सा|
भारतारत की संचित निधि ( Consolidated Fund of India ) मै से राज्यों को दिए जाने वाले अनुदानों (Grant-in-aid) के लिए सिद्धांत|
शुद्रद्र वित्त क हित में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्दिष्ट किया गया अन्य कोई मामला|
अब तक गठित 14 में से 14 वित्त आयोग ने अपनी सिफारिश दे दी है इन्हें 3 सीटो के अंतर्गत विभाजन किया जा सकता है-
- आयकर तथा अन्य करो का विभाजन तथा वितरण
- अनुदान एवं
- संघ द्वारा राज्यों के लिए गए ऋण
बजट
बजट शब्द फ्रेंच भाषा के बोगेट (boughtt) से लिया गया है|फ़्रेंच में बॉजेट शब्द का अर्थ होता है ' चमड़े का थैला' |वर्तमान में सर्वप्रथम इस शब्द का उपयोग " the budget opened " नामक व्यंग रचना में सर रोबर्ट के संदर्भ में किया गया। 1773 में ब्रिटिश वित्त मंत्री सर रॉबर्ट बाल पोल ने संसद के समक्ष पेश करने के लिए अपने वित्तीय प्रस्ताव चमड़े के थैले में से निकाले थे। उसी समय से बजट शब्द का प्रयोग सरकार के वार्षिक आय-व्यय के विवरण के लिए किए जाने लगा।
सामान्य शब्दों में , भविष्य के लिए की गई है योजना है जो पूरे वर्ष की राजस्व एवं अन्य आय तथा खर्चों का अनुमान लगाकर बनाई जाती है।
जिसमें वित्त मंत्री के द्वारा सरकार के समक्ष अपनी व्यय का अनुमान लगाकर आने वाले वर्ष के लिए कई योजनाएं बना कर, जनता के सामने हर वित्तीय वर्ष के दौरान प्रस्तुत करती हैं। एक आदत बजट में होता है जिसमें किसी का स्वार्थ ना हो। सरकार द्वारा उस बजट में लोग, व्यापार, सरकार, देश, बहु राष्ट्रीय संगठन के लिए, एक व्यक्ति, परिवार, समूह के लिए अच्छी से अच्छी योजनाएं बनाई गई हूं तथा खर्चो एवं निवेश किए गए हो।
भारत के पहले बजट को प्रस्तुत करने का श्रेय जेम्स विल्सन को जाता है जिन्होंने 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में पहली बार बजट पेश किया।
गुलशन को पहली बार एक वित्त विशेषज्ञ जेम्स विल्सन को वायसराय की कार्यप्रणाली का वित्तीय सदस्य नियुक्त किया गया। 1807 के बाद से ही प्रति वर्ष देश की वित्तीय स्थिति का विवरण प्रस्तुत करने वाला बजट वायसराय की परिषद में पेश किया जाने लगा लेकिन उस समय भारत गुलाम था इसलिए इस बजट पर भारतीय प्रतिनिधियों को बहस करने का अधिकार नहीं था।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केंद्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
जिसे राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान, संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण फरवरी के अंतिम कार्य दिवस को रखते हैं जिसमें सरकार के गत वर्ष के आए प्राप्ति ओ एवं व्ययों का ब्यौरा होता है। भारतीय वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है। बजट को लागू करने से पूर्व संसद द्वारा पास कराना आवश्यक होता है।
बजट का उद्देश्य
प्रत्येक वर्ष के लिए सरकार पूर्व में ही योजना बना लेती है।
जिसमें सरकार की आय के स्रोत जैसे भिन्न-भिन्न करों की वसूली या टैक्स, राजस्व से आय, सरकारी फीस जुर्माना, लाभांश,दिए गए ऋण पर ब्याज आदि सभी आए और इन आए को वापस जनता के लिए लगाना बजट का मुख्य उद्देश्य होता है।
आर्थिक विकास की दर से वृद्धि करना।
गरीबी एवं बेरोजगारी को दूर करना।
असमानता को दूर कर आए का सही योजनाओं में उपयोग करना।
बाजार में मूल एवं आर्थिक स्थिरता बनाए रखना।
अन्य सभी क्षेत्रों रेल, बिजली, वित्त, अनाज, खाद्य पदार्थ, बैंकों के लिए भी फंड रखना।
बजट के प्रकार
मध्यक्रम बजट
इसको परंपरागत बजट भी कहा जाता है। बजट के इस प्रणाली का विकास 18वीं शताब्दी में हुआ। इस बजट में वस्तु या मत का महत्व अधिक होता है। मधु या वस्तुओं पर खर्च से क्या उद्देश्य हासिल होगा इस पर नहीं। इस प्रकार के बजट का उद्देश्य विधायिका द्वारा कार्यपालिका को स्वीकृत धन की बर्बादी आय व्यय तथा दुरुपयोग को रोकना है।
निष्पादन बजट
इस बजट प्रणाली का जन्म अमेरिका में हुआ। इससे पहले क्रियाशील या कार्यकलाप बजट कहा जाता था। निष्पादन बजट में मदद के बजाय खर्च के उद्देश्य को ध्यान में रखा जाता है। सर्वप्रथम हूवर आयोग ने इसे निष्पादन बजट का कहा। यह प्रत्येक कार्यक्रम और गतिविधियों के वास्तविक निष्पादन और वित्तीय निवेश पक्षों के बीच संबंध स्थापित करती है।
कार्यक्रम बजट
यह बजट प्रक्रिया अन्य सुधारात्मक बजट प्रक्रियाओं में भी सुधार है जहां निष्पादन बजट कार्य कुशलता पर बल देता है और शून्य आधारित बजट व्यय कटौती पर वही कार्यक्रम बजट प्रभाव कारिता पर बल देता है।एक कार्य की सभी विकल्पों की संख्या आधारित तुलना इस बजट की महत्वपूर्ण विशेषता है।
शून्य आधारित बजट
इसका जन्म और विकास अमेरिका में हुआ इसका निर्माण पिटल ए पियर ने 1969 मैंं किया जबकि इसका विकास ब्रिटिश अर्थशास्त्री हिल्तंग रंग ने किया।
शून्य आधारित बजट की एक तर्क संगत पद्धति है इसके अंतर्गत बजट में सम्मिलित किए जाने से पहले अपने कार्यक्रम की आलोचनात्मक समीक्षा की जानी चाहिए और शून्य से प्रारंभ कर संपूर्णता दोबारा सही सिद्ध करना चाहिए
दो प्रकार के बजट होते हैं
1- रेल बजट ( Rail Budget)
2- केंद्रीय बजट (Central Budget)
रेल बजट ( Rail Budget)
रेल बजट पेश करने की परंपरा की शुरुआत 1924 से हो गई थी जबकि वर्ष सन 2016 में इसे समाप्त कर दिया गया। उससे पहले रेल विभाग के लिए अलग से बजट का प्रावधान नहीं था इस समय रेल के लिए धन की व्यवस्था आम बजट में से किसी अन्य मंत्रालय की तरह से ही की जाती है।
सन 1921 में ईस्ट इंडियन रेलवे समिति ने इसे अलग करने की सिफारिश की जिसके परिणाम स्वरुप 1924 में रेलवे वित्त मंत्रालय से अलग कर दिया गया तभी से इसके लिए अलग से बजट का प्रावधान कर दिया है।
सामंथा वार्षिक बजट वित्त मंत्रालय में उनके बांटे गए विभाग द्वारा बनाए जाते हैं।
जिसकी अंतिम मंजूरी राष्ट्रपति द्वारा दी जाती है जो कि केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों के संबंध में होती है। रेल बजट, रेल मंत्रालय द्वारा अलग से तैयार किया जाता है।
केंद्रीय बजट
केंद्रीय सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया सबसे बड़ा बजट जो हर वर्ग के व्यक्ति को ध्यान में रखकर बनाया जाता है
जिसे आम बजट भी कहा जाता है जिसमें सभी तरह के प्रावधान होते हैं जो कि, दिल के रूप में पारित होते हैं।
प्रत्येक वर्ष नए बजट के साथ नए नियम एवं कानून के साथ पारित होते हैं केंद्रीय बजट के कई छोटे-छोटे प्रावधान हैं जिनके लिए बजट बनाया जाता है जैसे-
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